पाप कितनी शीघ्रता से फैलता है
एक समाधान की आवश्यकता जो समस्या को दूर कर दे
प्रस्तावना
"तब कैन ने अपने भाई हाबिल से कुछ कहा: और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़ कर उसे घात किया।"
– उत्पत्ति ४:८
"उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।"
– उत्पत्ति ६:११
"आदम और हव्वा के वंशज बढ़ने के साथ-साथ पाप भी बढ़ता चला गया।"
– “आशा”, अध्याय ४
ध्यान से देखें और विचार करें
विज्ञान-कथा फिल्म 'एलियन' 1 अंतरिक्ष यात्रियों के एक समूह के बारे में कहानी बताती है, जो एक ऐसे ग्रह पर गए थे जहाँ शातिर 'एलियन' अर्थात् परग्रही जीव का वास था। 'एलियन' के साथ एक भयंकर मुठभेड़ के बाद, ऐसा लग रहा था कि चालक दल उस विपदा से बच जाएँगे, और बिना किसी नुकसान के अपनी यात्रा फिर से आरंभ कर सकेंगे। ऊपरी तौर से चीजें सामान्य लग रही थी लेकिन वास्तविकता तो यह थी कि 'एलियन' चालक दल के एक सदस्य के भीतर प्रवेश कर चुका था। और जब चालक दल एक साथ बैठकर भोजन कर रहा था, तब जब किसी को ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी, 'एलियन' ने, जिस चालक दल के संक्रमित सदस्य के भीतर वह छुपकर वास कर रहा था, उसकी छाती को भीतर से चीर कर फाड़ दिया और पूरी फ़िल्मी परदे (स्क्रीन) पर बिखेर दिया।
यह सिनेमाई चित्रण चाहे जितना भी भयावह हो, फिर भी यह उतना भयानक नहीं है जितनी कि वह 'एलियन' शक्ति जिसे पाप कहा जाता है, जिसने सम्पूर्ण मानवजाति को संक्रमित कर दिया है। आदम और हव्वा ने वाटिका को छोड़ दिया ताकि वे परमेश्वर द्वारा पहले मिले निर्देश "फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ" को पूर्ण करने का प्रयास एक बार फिर से कर सकें ' (उत्पत्ति १:२८)। किंतु वे तो पाप से संक्रमित थे, यद्यपि चीजें "कुछ हद तक सामान्य" लग रही थी, किंतु वे थीं नहीं। अभी तो एक पीढ़ी भी नहीं गुज़री थी कि पाप की कुरूपता परदे पर उभर पड़ी। आदम और हव्वा के पहलौठे बेटे कैन ने अपने छोटे भाई हाबिल को बेरहमी से मार डाला।
११ पीढ़ियों के भीतर (जैसा कि उत्पत्ति ५ में सूचीबद्ध है उत्पत्ति ५), पृथ्वी "परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।" (उत्पत्ति 6:11)| और परमेश्वर "मन में अति खेदित हुआ" (उत्पत्ति 6:6)|
जब हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि पाप कितनी शीघ्रता से संसार में फैल गया, आइए एक साधारण-सा चित्रण देखते हैं। अधिकांश लोग डोमिनोज़ खेल से परिचित हैं, जिसमें छोटी आयताकार टाइलें होती हैं और प्रत्येक टाइल पर अलग-अलग संख्या में कुछ डॉट्स या बिंदु होते हैं। और यदि आप डोमिनोज़ से परिचित हैं, तो आपने शायद देखा होगा कि लोग उन्हें छोटे-छोटे खंभों की भांति एक पंक्ति में खड़ा कर देते हैं। जब पहला डोमिनोज़ गिराया जाता है, तो यह एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया को आरंभ कर देता है और वह अगले डोमिनोज़ को गिराता है, और फिर उससे अगला, और ऐसे आगे बढ़ता जाता है। (इसी शृंखलाबद्ध खेल को ताश के पत्तों के साथ भी भी खेला जाता है जिसमें ताश के पत्ते एक दूसरे के पीछे एक डिज़ाइन में खड़ा किए जाते हैं। फिर पहले ताश के पत्ते के धक्का दिया जाता है जिससे उसके पीछे के सभी पत्ते एक क्रमबद्ध शृंखला में गिरते जाते हैं।)
डोमिनोज़ को ऐसे श्रृंखलाबद्ध तरीके से गिराने के अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक वह है जिसे ३८ लाख से अधिक डोमिनोज़ को इस्तेमाल किया गया था। उसे कार्यान्वित करने के लिए १०० से अधिक बनाने वाले लोगों को ३ महीने तक प्रतिदिन ८ घंटे काम करना पड़ा था। इस प्रदर्शन में ५१ से अधिक विभिन्न परस्पर जुड़ी परियोजनाओं को शामिल किया गया था; हर एक बहुत ही जटिल और नाज़ुक रूप से संतुलित की गई थी। एक बार, जैसे ही पहला डोमिनोज़ गिराया गया, तुरंत ही श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया बड़ी शीघ्रता से हर संभावित दिशा में फैलती चली गई। बहुत ही कम समय में, सब कुछ एक बड़े से ढेर में बदल गया!
परमेश्वर ने एक ऐसे संसार की रचना की है जो उस डोमिनोज़ के प्रदर्शन की तुलना में अनगिनत गुना कहीं अधिक जटिल, अधिक अन्योन्याश्रित (परस्पर निर्भरता), और अधिक नाजुक रूप से संतुलित है। किंतु उस प्रदर्शन के समान, यहाँ तक कि एक छोटा-सा गलत कदम भी सृष्टि में सर्वदा के लिए एक शृंखलाबद्ध प्रभाव प्रवाहित करने की क्षमता रखता है। ऐसा कहा गया है कि असीम परमेश्वर के विरुद्ध छोटे से छोटे पाप का भी असीम परिणाम होता है। 2
पूछें और मनन करें
यद्यपि जिन दो चित्रण पर हमने विचार किया है, वे पाप की वास्तविकता दर्शाने के लिए कम पड़ते हैं, फिर भी वे हमें यह समझने में सहायता करते हैं कि पाप किस प्रकार फैलता है। ऊपर से सबकुछ सामान्य लगता है किंतु यदि नियंत्रण न रखा जाए तो छोटे से छोटा पाप भी बढ़ सकता है और खतरनाक दर से फैल सकता है, और जिसे भी वह छू लेता है उसे नष्ट कर सकता है। यही बात हम बाइबल के उन पदों में भी देखते हैं जिन पर आज हमने विचार किया था; जहाँ वे दोनों चित्रण पूर्ण वास्तविकता दर्शाने में असमर्थ थे, वहीं ये पद पूर्ण वास्तविकता दर्शाने में कम नहीं पड़े।
क्या आज हमने जिन बातों पर विचार किया है, उन्होंने पाप की गंभीरता के बारे में आपके दृष्टिकोण को प्रभावित किया है? यदि हाँ, तो कैसे?
अब कल्पना करें कि उस डोमिनोज़ प्रदर्शन को लुढ़काने की ज़िम्मेदारी आप की थी, और जैसे ही आप पहला डोमिनोज़ लुढ़काते हैं, ठीक उसी क्षण प्रदर्शनी के प्राधिकारी आपसे कहते हैं, "रुको, अभी नहीं!"
ऐसे में आप क्या कर सकते थे? यदि इसका कोई समाधान होता, तो उसे कुछ ऐसा होना चाहिए जो ऐसा कर सके:
१) उस समस्या को दूर कर दें जो खतरनाक दर से फैल रही थी और २) जो नुकसान हो चुका था उसे उलट दें। मानवीय रूप से ऐसा कोई समाधान होना, हो सकता है कि संभव न हो।
संसार में पाप की समस्या इस चित्रण में वर्णित दुविधा से कहीं अधिक जटिल और आशाहीन है। फिर भी, हमें भी पाप के लिए एक समाधान की आवश्यकता है जो समस्या को दूर कर सके और उसके प्रभावों को उलट सके। शुक्र है कि परमेश्वर ने हमें एक ऐसा समाधान प्रदान किया है।
निर्णय लें और करें
यदि आपने पाप करने की अपनी प्रवृत्ति और पाप करने से बचने की अपनी असमर्थता पर पूर्ण रूप से विचार नहीं किया है, तो अभी इस पर विचार करें। पाप एक "वैश्विक" समस्या है जो व्यक्तिगत रूप से प्रकट होती है। एक बार इस वक्तव्य कि, "संसार के साथ क्या गलत है?", पर टिप्पणी माँगने पर ब्रिटिश लेखक जी.के. चेस्टरटन ने उत्तर दिया, "मैं हूँ।" 3
यह जानने के लिए कि प्रेरित पौलुस ने इसी विचार को किस प्रकार से व्यक्त किया है, पढ़ा ( रोमियों 7:15-25) और पढ़ा (रोमियों 8) आगे भी इस शिक्षण का पता लगाने के लिए। दि आप इन सत्यों को अपने जीवन में लागू करने के लिए तैयार हैं और यदि आप अपने जीवन में पाप के समाधान खोजना चाहते हैं, तो इस अध्ययन मार्गदर्शिका के 'परमेश्वर को जानना' खंड में जाएँ।
Footnotes
1Alien, Directed by Ridley Scott, Produced by 20th Century Fox and Brandywine Productions Ltd., 1979.
2Edward Payson, Our Sins, Infinite in Number and Enormity (Sermon No.7). (http://www.pbministries.org/articles/payson/the_works_vol_2/sermon_07.htm) Retrieved October 6, 2006. “…we must acknowledge that our wickedness is great, and our iniquities infinite, –absolutely numberless. It is further necessary to show, that our sins are infinite, not only in number, but in criminality; that every sin is, in fact, infinitely evil, and deserving of infinite punishment. It is so because it is committed against an infinite being, against God, a being infinitely powerful, wise, holy, just and good.” Payson uses Job 22:5 as the basis for this sermon: “Is not your wickedness great, And your iniquities without end?”
3Scott Phillips, Front Page Reflection. (Reformed University Fellowship of Tennessee Tech University, 2006). (http://orgs.tntech.edu/ruf/). Retrieved December 19, 2006.