कलीसिया - कार्य अभी जारी है

कलीसिया के गवाही के आधार पर यीशु को नकारें नहीं।


प्रस्तावना

हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो।"

– इफिसियों ५:२५-२७ 

ध्यान से देखें और विचार करें 

क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसने यीशु को नकारने का यह कारण दिया हो कि, "कलीसिया केवल आडंबरकारियों से भरी हुई है"? यह एक बहुत आम भावना है। यदि आप कलीसिया में आजकल चल रहीं कुछ अजीब बातों पर विचार करें या आप ऐसे कलीसिया के अगुवों को देखें जो यीशु के सच्चे अनुयायी होने का अच्छा नमूना पेश नहीं करते हैं, तो यह समझना कठिन नहीं है कि क्यों लोग कलीसिया से दूर भागते हैं। परंतु क्या यीशु को नकारने का यह कोई कारण हो सकता है?

संगीत की दुनिया में मोत्सार्ट,बाख़ और बीथोवेन जैसे शास्त्रीय संगीतकार श्रेष्ठ माने गए हैं। एक विश्व स्तरीय सिम्फनी जब उनकी रचनाओं में से किसी एक को प्रस्तुत करता है तो प्रस्तुतीकरण मंत्रमुग्ध करने वाला होता है। किंतु यदि उसी रचना को पाँचवी कक्षा का कोई ऑर्केस्ट्रा प्रस्तुत करने की प्रयास करता है तो उनका प्रस्तुतीकरण बिल्कुल ही भिन्न होता है। यह लगभग अपेक्षित भी होता है। परंतु जब कलीसिया अपनी परिपूर्णता में कम रह जाती है, तो बहुत से लोग यीशु का अनुसरण करने की बहुमूल्यता पर ही प्रश्न उठाने लगते हैं।

जो व्यक्ति कलीसिया के कारण यीशु मसीह को नकारता है, उसे दो बातें ज्ञात होना आवश्यक है: पहली, यीशु परिपूर्ण है, यह इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि कलीसिया कितनी अच्छी तरह उसका प्रतिनिधित्व कर पा रही है। और दूसरी, केवल इसलिए कि यीशु ने कलीसिया को या उन्हें जो कलीसिया का निर्माण करते हैं, अभी तक 'परिपूर्ण' नहीं किया है, तो इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है या वह ऐसा नहीं करेगा। कलीसिया का कार्य अभी जारी है।

यीशु यह सुनिश्चित करेगा कि कलीसिया अंततः "बिना किसी कलंक, झुर्री, या कोई और ऐसी वस्तु हो बल्कि वह पवित्र और निर्दोष हो।" जैसे कि एक बालक अपनी तरुणावस्था में प्रवेश करते हुए लगता है, उसी प्रकार कलीसिया भी असभ्य और अशिष्ट प्रतीत हो सकती है। किंतु हर मनमोहक दुल्हन कभी न कभी एक अकुशल किशोरी थी। एक दिन कलीसिया यीशु मसीह की दुल्हन के रूप में तैयार की जाएगी  (प्रकाशितवाक्य 19:7)| और जैसे बाइबल सिखाती है  (प्रकाशितवाक्य 22:5), वह उसके साथ युगानुयुग राज्य करेगी!

पूछें और मनन करें 

  • क्या आपने कभी किसी को यह कहते हुए सुना है कि कलीसिया आडंबरकारियों से भरी हुई है? इस वक्तव्य के बारे में आप क्या सोचते हैं?
  • कलीसिया के साथ आपका व्यक्तिगत अनुभव क्या है? यह अनुभव आमतौर पर अच्छा रहा या बुरा? अपने उत्तर का कारण स्पष्ट करें।

निर्णय लें और करें 

जैसा कि हमने अध्ययन किया था कि जो लोग यीशु पर भरोसा रखते हैं उन्हें "उसमें" धर्मी बनाया जाता है। किंतु बाइबल में कहीं भी यह नहीं सिखाया गया है कि जो उसमें धर्मी बनाए जाते हैं, वे उसकी धार्मिकता में निरंतर हर बार १०० % खरे उतरेंगे। यीशु के प्रत्येक अनुयायी पर कार्य अभी जारी है, जो कार्य यीशु ने भीतरी रूप से पूर्ण किया, उस कार्य को बाहरी रूप से व्यक्त करना वह अनुयायी अभी सीख रहा है। और इसमें उन्नति करने के लिए कलीसिया से बेहतर और कोई स्थान नहीं है। उसने इस प्रक्रिया को ऐसा ही बनाया है।

यदि आपने अभी तक यीशु का अनुसरण करने का निर्णय नहीं लिया है क्योंकि आप कलीसिया की स्थिति पर चिंतित हैं, तो अपना ध्यान कलीसिया से हटाकर यीशु पर स्थित करें। यीशु के दावों को यीशु के जीवन और उसके चरित्र के आधार पर तौलें।

यदि आप पहले से ही यीशु के अनुयायी हैं, परंतु कलीसिया की ओर से निराश हैं या कलीसिया द्वारा आहत हो गए हैं, तो हार मत मानिए। परमेश्वर ने अपने प्रेम के पात्र के रूप में आप के विषय में कभी हार नहीं मानी! कलीसिया को आप की आवश्यकता है और जैसा कि हमने पिछले पाठ में पढ़ा था, आप यीशु की देह अर्थात कलीसिया के साथ एक सही संबंध से पृथक होकर यीशु में अपनी पहचान नहीं पा सकते हैं (साथ नहीं चल सकते हैं)।

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Scripture quotations taken from the NASB