पवित्र आत्मा का आगमन
पवित्र आत्मा और त्रिएकता का भेद
प्रस्तावना
"मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है; तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। “मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा; मैं तुम्हारे पास आता हूँ। और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे; इसलिये कि मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे। उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।"
– यूहन्ना १४:१६-२०
"जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। एकाएक आकाश से बड़ी आँधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे। आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे। जब यह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं।"
– प्रेरितों के कार्य २:१-६
"... अर्थात् यहूदी और यहूदी मत धारण करनेवाले, क्रेती और अरबी भी हैं, परन्तु अपनी-अपनी भाषा में उनसे परमेश्वर के बड़े-बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।"
– प्रेरितों के कार्य २:११
यीशु के स्वर्ग पर उठाये जाने के कुछ दिनों के बाद उसके अनुयायी एक स्थान पर एकत्रित थे। एकाएक स्वर्ग से प्रचण्ड आँधी की सी सनसनाहट की आवाज़ आई और पूरे कमरे में भर गई। उन्हें आग की सी जीभें प्रकट होती दिखाई दी जो हर एक के ऊपर आकर ठहर गई। और वे सब परमेश्वर के आत्मा से भर गए और अन्य अन्य भाषाओं में बोलने लगे। जैसे यीशु ने प्रतिज्ञा की थी, उसके शिष्य अकेले नहीं रहे, क्योंकि उसकी उपस्थिति उनके बीच परमेश्वर के आत्मा द्वारा भरे जाने से प्रकट हो रही थी।"
– आशा, अध्याय १२
ध्यान से देखें और विचार करें
क्रूस पर चढ़ाए जाने की पूर्वसंध्या पर यीशु ने अपने चेलों से प्रतिज्ञा की कि वह उन्हें कभी अनाथ नहीं छोड़ेगा। उसने उनसे कहा कि पिता परमेश्वर उन्हें एक सहायक, पवित्र आत्मा, भेजेगा (यूहन्ना 14:16), जो सर्वदा उनके साथ रहेगा। उसके पुनरुत्थान से पचासवें दिन (पिन्तेकुस्त के दिन) यीशु की प्रतिज्ञा पूर्ण हुई। पवित्र आत्मा उन पर आ ठहरा और यीशु के सब अनुयायी आत्मा में भर गए।
उत्पत्ति १:२६ में परमेश्वर स्वयं को बहुवचन रूप में संबोधित करता है, "हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएँ।" मत्ती २८:१९ में यीशु ने कहा, "इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।" यह पद और अन्य कई बातें 1 उस सत्य के बारे में बात करते हैं जो बाइबिल में स्पष्ट रूप से सिखाया गया है, यद्यपि आवश्यक नहीं की समझाया भी गया हो। परमेश्वर एक है (व्यवस्थाविवरण ६:४), और वह त्रिएक परमेश्वर है। ऐसा परमेश्वर नहीं है जिसके तीन भाग हों। वह एक परिवेश में विद्यमान तीन अलग-अलग परमेश्वर नहीं हैं। परमेश्वर त्रिएक है। इसी सत्य को त्रिएकता का मत कहते हैं, और यद्यपि इसे पवित्रशास्त्र द्वारा समर्थन प्राप्त है, फिर भी यह मनुष्य की समझ के लिए एक भेद बना हुआ है।
जिस प्रकार बाइबल पिता और पुत्र का वर्णन परमेश्वर के रूप में करती है, उसी प्रकार वह पवित्र आत्मा का भी वर्णन करती है जिसमें परमेश्वर के गुण विद्यमान हैं :
- अनंत - जिसका न आदि है और न अंत (इब्रानियों 9:14)
- सर्वशक्तिमान - जिसके पास समस्त शक्तियाँ है (लूका 1:35)
- सर्वव्यापी - एक ही समय में हर स्थान में होना (भजन 139:7)
- सर्वज्ञ - सब बातों को जानने वाला (1 कुरिन्थियों 2:10-11)
यद्यपि वह परमेश्वर है, जो परमेश्वर के सभी गुणों को प्रकट करता है, फिर भी पवित्र आत्मा अपनी ओर ध्यान आकर्षित नहीं करता है। बल्कि अधिकांश धर्मशास्त्री तो ऐसा कहेंगे कि पवित्र आत्मा की सेवकाई है - पिता परमेश्वर में यीशु मसीह के व्यक्ति रूप और उपस्थिति की मध्यस्थता करना या प्रकट करना (परिचय कराना)। यूहन्ना १४:९ में, यीशु ने कहा, "जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है।" पवित्र आत्मा यीशु को प्रकट करता है (यूहन्ना 15:26) और यीशु पिता को प्रकट करता है।
1 यूहन्ना 4:16 में मसीह कहता है कि परमेश्वर प्रेम है। यदि उसे अभिव्यक्त होना है, तो प्रेम का एक पात्र भी होना चाहिए। कुछ लोगों ने यह तर्क दिया कि परमेश्वर ने मनुष्य की रचना उसके प्रेम के पात्र के रूप में की थी । इसकी आवश्यकता नहीं थी क्योंकि अनंतकाल से ही त्रिएक परमेश्वर के पास स्वयं के भीतर ही प्रेम का पात्र था! सच तो यह है कि, एक धर्मशास्त्री ने त्रिएकता का वर्णन करते हुए कहा है कि यह प्रेम और जीवन का एक से दूसरे में एक अनंत विस्फोट है! 2 इसके बारे में सोचें... एक अनंत विस्फोट।
पवित्र आत्मा, जो यीशु के अनुयायियों पर आ ठहरा था ताकि सब अनुयायी आत्मा में भर जाएँ, उसने उन्हें एक ऐसी अंतरंग, अनंत संगति में प्रवेश करने और भागीदार बनने के लिए सुसज्जित किया जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के मध्य विद्यमान है। यह वही बात है जिसका वर्णन यीशु यूहन्ना १४ के उपर्युक्त लेखांश के अंतिम पद में कह रहा था, "उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।"
पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने के पश्चात उसके अनुयायी सामर्थ्य से भर कर प्रचार के लिए निकल पड़े और स्वर्गीय भाषा में परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों का प्रचार करने लगे, और जो लोग उन्हें सुनते थे, उन्हें वह प्रचार अपनी भाषा में सुनाई देता और समझ में आता था। वह पवित्र आत्मा ही था जो यीशु मसीह का परिचय दे रहा था, और पवित्र आत्मा आज भी यीशु का परिचय दे रहा है!
पूछें और मनन करें
त्रिएकता के मत को समझाने के लिए कई प्रकार की उपमाओं का प्रयोग किया गया है। करीब २० वर्ष पूर्व, एक सेमिनरी के एक प्रोफेसर ने अपने छात्रों को एक उपमा देते हुए त्रिएकता की तुलना एक पुस्तक से की थी जिसकी एक निश्चित लंबाई, चौड़ाई और मोटाई है। पुस्तक की लंबाई, उसकी चौड़ाई नहीं हो सकती; और न ही पुस्तक की चौड़ाई उसकी मोटाई हो सकती है। पुस्तक के इन तीन आयामों का अलग-अलग वर्णन किया जा सकता है, फिर भी वे परस्पर जुड़े हुए हैं। यदि आप किसी भी एक आयाम को हटा दें, तो आप पुस्तक का वर्णन नहीं कर पाएँगे। 3 उसी प्रकार, त्रिएक परमेश्वर के तीन अलग-अलग सदस्य हैं जो एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं और यदि आप किसी भी एक सदस्य को हटाना चाहें, तो फिर आपके पास परमेश्वर ही नहीं रहेगा।
निश्चित रूप से कोई भी एक उपमा हमें त्रिएकता के अद्भुत भेद को पूरी तरह से समझाने में सक्षम नहीं है। परंतु ये उपमायें हमें इसे समझने में सहायता अवश्य करती हैं। क्या इस चित्रण के द्वारा आपको त्रिएकता को समझने में सहायता मिली है? क्यों और क्यों नहीं? त्रिएकता को समझने में आप किस प्रकार किसी व्यक्ति की सहायता करेंगे?
निर्णय लें और करें
प्रेरित पौलुस रोमियों की पुस्तक (रोमियों १५:१३) में समापन की बातों को आरंभ करते हुए लिखता है, "परमेश्वर जो आशा का दाता है तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।" यह स्पष्ट है कि परमेश्वर हमसे एक ऐसा जीवन जीने की अपेक्षा नहीं करता है जिसमें हम अपनी स्वयं की सामर्थ्य से उसका आदर करें। वह चाहता है कि हम पवित्र आत्मा पर भरोसा करें। परमेश्वर के साथ आप किस प्रकार से चल रहे हैं? क्या आप थके हुए हैं? यीशु ने कहा है, "हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा" (मत्ती ११:२८)। हर क्षण, विश्वास के साथ, परमेश्वर पिता पर भरोसा करें कि वह पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा आप में और आपके द्वारा यीशु की उपस्थिति प्रकट करेगा। स्वयं को निरंतर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने दें।
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- Jorge Atiencia, Witnesses Experience the Presence and Power of God the Holy Spirit (Urbana 96 – Exposition: Acts 2). (© InterVarsity Christian Fellowship / USA). (http://www.urbana.org/_articles.cfm?RecordId=681). Retrieved December 8, 2006.
- Mike Oppenheimer, What Is the Trinity? (© Let Us Reason Ministries, 2006). (http://www.letusreason.org/Trin7.htm). Retrieved December 8, 2006.
- Paul Kroll, The Holy Spirit Is the Personal Presence of God Himself. (© 2004 Worldwide Church of God). (www.gci.org/god/presence). Retrieved December 11, 2006.
- Who Is the Holy Spirit? (© EveryStudent.com, a site developed by Campus Crusade for Christ, International). (http://www.everystudent.com/forum/hspirit.html). Retrieved December 8, 2006.
- John Piper, How Can We Be Clothed With Power? (© Desiring God Ministries, 2006). (http://www.desiringgod.org/ResourceLibrary/TopicIndex/4/654_How_Can_We_be_Clothed_with_Power/). Retrieved December 11, 2006.
Footnotes
1Genesis 3:22; Genesis 11:7; Isaiah 6:8; 2 Corinthians 13:14.
2Leonardo Boff, Holy Trinity, Perfect Community. Orbis Books, 2000, p.15.
3Harold Willmington, Willmington’s Bible Study Library 1 & 2: The Doctrine of the Trinity. p.9. Retrieved December 11, 2006.