पुनरुत्थान का महत्व - भाग २
मनुष्य नए हो गए - पुराने मनुष्य की मृत्यु।
प्रस्तावना
"और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है, और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो।"
– १ कुरिन्थियों १५:१७
"अत: उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे। हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, और हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।"
– रोमियों ६:४-७
और उसी के साथ बपतिस्मा में गाड़े गए और उसी में परमेश्वर की सामर्थ्य पर विश्वास करके, जिसने उसको मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।"
– कुलुस्सियों २:१२
"इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैं।"
– २ कुरिन्थियों ५:१७
ध्यान से देखें और विचार करें
पिछले पाठ में हमने देखा कि प्रेरित पौलुस ने 1 कुरिन्थियों 15:14-19 में यीशु के पुनरुत्थान के बारे में क्या लिखा गया है। आज के पाठ में हम उस लेखांश में से एक पद से आरंभ करते हुए पुनरुत्थान के विषय में अपने अध्ययन को जारी रखेंगे। उपर्युक्त पद १७ में हम पढ़ते हैं कि यदि मसीही मृतकों में से जी नहीं उठा, तो हम अभी भी अपने पापों में पड़े हुए हैं। आइए इसी पड़ाव पर गहन अध्ययन करते हैं।
पाठ १८ से स्मरण करें कि आदम से लेकर पाप प्रत्येक व्यक्ति को संक्रमित करता आया है। अब कुछ लोगों का यह विचार है कि एक भला जीवन व्यतीत करने और निरंतर एक भला व्यक्ति बनते जाने के द्वारा वे इस पाप से छुटकारा पा सकते हैं। बाइबल हमें यह नहीं सिखाती है। बाइबल सिखाती है कि पाप से निपटने का केवल एक ही मार्ग है, और वह है, उसका न्याय करना और उससे मार देना (रोमियों 8:13), यही कार्य यीशु ने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा पूर्ण किया था।
अब रोमियों 6:5-6 के उपर्युक्त पदों पर ध्यान दें, कि एक मायने में, जब मसीह क्रूस पर चढ़ाया गया, आप (आपका पुराना मनुष्यत्व) भी उसके साथ क्रूस पर चढ़ाए गए। जब आप इस अवधारणा के बारे में सोचते हैं तो इससे आपको अपने मन में यह बात रखने में सहायता मिलेगी कि क्योंकि परमेश्वर समय और स्थान की सीमाओं में सीमित नहीं है, इसलिए समय और स्थान में परमेश्वर जो सिद्ध कर सकता है वह समय और स्थान की सामान्य सीमाओं में सीमित नहीं रह सकता है। यद्यपि आप सम्भवतः अभी पूरी तरह से समझ नहीं पाएँगे, परंतु एक मायने में, यीशु आपको अपने साथ उस क्रूस पर ले गया था, भले ही तब तक आपका जन्म भी नहीं हुआ था।
साथ ही, यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि जब बाइबल इस शब्द 'पुराना मनुष्यत्व' (पुराना मनुष्य) का प्रयोग करती है, तो यह आपके उस पुराने रूप का उल्लेख करती है जो आपके द्वारा यीशु पर, अपने पाप का ऋण चुकाने और परमेश्वर से आपका मेल मिलाप कराने के लिए, भरोसा करने से पहले था। दूसरे शब्दों में कहें तो "पुराना मनुष्यत्व" यह संदर्भित करता है कि पाप के दंड और उसकी शक्ति के अधीन आप कैसे व्यक्ति थे। इसलिए जब हम पद ६ और ७ को ध्यान से पढ़ते हैं, तो पाते हैं कि आपका पुराना मनुष्यत्व मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि "पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए," ताकि आप "आगे को पाप के दासत्व में न रहें," परंतु इसके बजाय “पाप से छुटकारा पा जाए”। परमेश्वर आपको (आपके पुराने मनुष्यत्व को) कब्र में ले जाकर पाप का निवारण करता है। और पद ७ जारी रखते हुए देखते हैं कि, "क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।" पाप की शक्ति से छुटकारा पाना अच्छी बात है, किंतु यदि हम कब्र में मृत पड़े रहें तो यह अच्छी बात नहीं है। इसीलिए पुनरुत्थान इतना अधिक महत्वपूर्ण है।
रोमियों 6:5 और कुलुस्सियों 2:12, को ध्यान से पढ़ें, हम देखेंगे कि न केवल हम यीशु मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाए गए बल्कि हम उसके साथ जिलाए भी गए हैं - "नए जीवन" की सी चाल चलने के लिए जी उठे हैं (रोमियों 6:4)! और 2 कुरिन्थियों 5:17, में, हम पाते हैं कि यदि हम यीशु मसीह में हैं (उसमें अपना शरणस्थान पाकर), तो हम नई सृष्टि हैं; पुरानी बातें बीत गई हैं! यदि आप यीशु के साथ जी उठे हैं तो आपका पुराना मनुष्यत्व (जो आप हुआ करते थे) अभी भी कब्र में है, और आपको मसीह में एक नई पहचान के साथ एक नया व्यक्ति बनाया गया है!
अब आप सोच रहे होंगे," ज़रा एक क्षण ठहरिए, मैं तो अभी भी पाप से जूझ रहा हूँ! यदि मैं पाप के प्रति मर गया तो यह कैसे संभव है?" इस प्रश्न का उत्तर प्रेरित पौलुस ने रोमियों 7:8 में बहुत गहराई से समझाया है। बड़े ही साधारण तौर से, प्रेरित पौलुस स्पष्ट करता है कि पाप अभी भी आपके शरीर में बसा हुआ है (रोमियों 7:18-23), किंतु अब आप निराशाजनक रूप से इसके प्रभाव के अधीन नहीं हैं (रोमियों 8:12)। अब आप आपके भीतर विद्यमान परमेश्वर की सामर्थ्य के द्वारा पाप के हराकर एक विजयी जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं। और पुनरुत्थान के कारण ही यह संभव हुआ है!
जिस पुनरुत्थान के बारे में हमने रोमियों 6:4-6 के पदों में अध्ययन किया है, वह मूल रूप से एक आत्मिक पुनरुत्थान है; एक ऐसा पुनरुत्थान जिसमें पाप के प्रति मरने के द्वारा, हम परमेश्वर में जीवित किये गए हैं (रोमियों 6:11)। बाइबल हमें यह भी सिखाती है कि एक दिन वे सब लोग जो यीशु मसीह पर भरोसा करते हैं, उनका सचमुच में शारीरिक पुनरुत्थान होगा जिसमें वे उसके समान एक नई देह पाएँगे (1 कुरिन्थियों 15:50-53) जो पाप से भ्रष्ट नहीं है। यह पुनरुत्थान की देह सदा सर्वदा के लिए स्वर्ग में रहने में सक्षम है (1 कुरिन्थियों 15:40-44)। एक बार पुनः जान लें कि यह यीशु के पुनरुत्थान के द्वारा संभव हुआ है, जो हमसे पहले जी उठा है!
तो पुनरुत्थान कितना महत्वपूर्ण है? इन बातों का सार यह है कि वह क्रूस था जिसने हमें पाप के दंड से छुटकारा दिलाया। परंतु वह यीशु के साथ हमारा आत्मिक पुनरुत्थान था जिसने हमें पाप की शक्ति से छुटकारा दिलाया। और यीशु के कारण हमारा शारीरिक पुनुरुथान होगा जो अंततः और पूर्णतः हमें पाप की उपस्थिति से छुटकारा दिलाता है!
पूछें और मनन करें
क्या इस पाठ ने आपको हमारे आरंभिक पद, 1 कुरिन्थियों 15:17? के अर्थ को बेहतर ढंग से समझने में सहायता की है? यदि हाँ तो बताएँ कि कैसे? यदि नहीं तो यह बताने का प्रयास करें कि आपको कौन सी बात समझ नहीं आई?
क्या इन पिछले कुछ पाठों के बाद पुनरुत्थान के महत्व के बारे में आपके दृष्टिकोण में बदलाव आया है? वर्णन करें
निर्णय लें और करें
इस पाठ में बहुत से आत्मिक "मांस" थे। यदि आप इसे पूरी तरह से नहीं पचा नहीं पाए हैं, तो चबाते रहें! इसे दोबारा पढ़ें, प्रार्थनापूर्वक पढ़ें। रोमियों 5, 6, 7 और 8| को पढ़ने के लिए कुछ समय निकालें। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पाठ्यसामग्री का अध्ययन करें। आपके सामने जो सत्य है वह आपको उन रीतियों के माध्यम से छुटकारा दिलाने की सामर्थ्य रखता हैं जिन्हें आप सोच भी नहीं सकते थे कि संभव हैं!
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- John Piper, But Christ Has Been Raised, You Are Not Still In Your Sins (A Sermon Dated Easter Sunday, April 3, 1994). (© Desiring God Ministries, 2006). (http://www.desiringgod.org/resource-library/sermons/but-christ-has-been-raised-you-are-not-still-in-your-sins). Retrieved November 29, 2006.
- Ray C. Stedman, Romans. (© Ray Stedman Ministries). (http://www.raystedman.org/new-testament/romans). Retrieved November 30, 2006. For an in–depth study of Romans, this series of sermons by Ray C. Stedman should prove invaluable, especially as those on Romans 5–8 relate to this lesson.
- Bill Gillham, We’re Totally Forgiven. (© Lifetime Guarantee Ministries, 1997–2006).(http://www.lifetime.org/author/bill/) (http://brotherheart.wordpress.com/articles-by-bill-gillham/were-totally-forgiven/). Retrieved August 20, 2013.
- Bill Gillham, The World’s Best Kept Secret. (© Lifetime Guarantee Ministries, 1997–2006). (http://www.lifetime.org/author/bill/). Retrieved December 1, 2006.
- Bill Gillham, Lifetime Guarantee. Harvest House Publishers, 1993.