परमेश्वर किसे धर्मी मानता है?
यह अच्छा बनने के प्रयास के बारे में नहीं, परंतु परमेश्वर पर भरोसा करने के बारे में है
प्रस्तावना
"और उसने उसको (अब्राम) बाहर ले जाके कहा, आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उन को गिन सकता है? फिर उसने उससे कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा। उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना।"
– उत्पत्ति १५:५-६
"अब अब्राहम और सारा कनान देश में लम्बे समय से रह रहे थे लेकिन वे संतानहीन ही रहे। और फिर एक बार, परमेश्वर ने उससे कहा कि उसके वंशज आसमान के सितारों के सामान असंख्य होंगे। अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और परमेश्वर ने उसके विश्वास को धर्मिकता गिना।"
– “आशा” अध्याय ५
ध्यान से देखें और विचार करें
पिछले पाठ में हमने देखा कि कैसे अब्राहम ने परमेश्वर की बुलाहट और प्रतिज्ञा का उत्तर विश्वास के साथ दिया। परमेश्वर ने अब्राहम को बुलाहट दी थी कि वह अपना घर छोड़ दे और एक अनजान देश की ओर यात्रा करें। और उससे प्रतिज्ञा दी कि अब्राहम को एक बड़ी जाति का पिता ठहराएगा। आज का पाठ विश्वास के उस पहले कदम को उठाने के कई वर्ष उपरांत अब्राहम पर दृष्टि डालता है, और अभी भी अब्राहम और उसकी पत्नी सारा निःसंतान ही थे! परमेश्वर एक बार फिर अब्राहम से बातें करता है, यह प्रतिज्ञा देते हुए कि उसके वंशज तारों के तुल्य होंगे- अनगिनत (उत्पत्ति 15:5)| अब्राहम के पास ऐसा कोई भी सबूत नहीं था कि उसकी एक भी संतान होगी, अनेक वंशजों की तो बात ही छोड़ दीजिए। परन्तु अब्राहम ने परमेश्वर पर दृढ़ विश्वास रखा, और परमेश्वर ने उसे (उसके विश्वास को) धार्मिकता माना (या गिना) (उत्पत्ति 15:6)| यह पद बाइबल में सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक हैं, क्योंकि यह उस आधार का सार प्रस्तुत करता है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति परमेश्वर के समक्ष सही ठहरता है और परमेश्वर के साथ एक संबंध स्थापित करता है।
शब्द "धार्मिकता" 1 व्यवस्था, नैतिकता और न्याय से जुड़ा हुआ है। बाइबल की शब्दावली अनुसार, धर्मी वह है जो दोषरहित है। व्यवस्था के संबंध में वह सिद्ध है या "सही" है। मगर, यदि आप अपनी बाइबल के पन्ने पलटें और रोमियों 3:10, वहाँ लिखा है, "कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।" (पाठ १८ देखें)। यदि हम अब्राहम के जीवन को नज़दीक से देखें, तो हम स्पष्ट रूप से देख पाएँगे कि उसका जीवन पूर्णता तक नहीं पहुँच पाया था।
केवल परमेश्वर ही सिद्ध है! केवल वही पवित्र और धर्मी है! और क्योंकि परमेश्वर पवित्र और धर्मी है इसलिए वह पाप को सहन या अनदेखा नहीं कर सकता है। पाप परमेश्वर के चरित्र के विपरीत है इसलिए परमेश्वर अंततः उसका न्याय करेगा। सीधे शब्दों में कहें तो पाप परमेश्वर (जो पाप रहित है) और मनुष्य (जो पापपूर्ण है) के बीच एक दरार उत्पन्न करता है।
शब्द "माना"2 (या "श्रेय" या "गिना" जैसा कि विभिन्न अनुवादों में लिखा है) को एक लेखांकन या गणितीय शब्द माना जा सकता है। यदि परमेश्वर को अब्राहम की योग्यता के आधार पर अब्राहम की धार्मिकता की लेखापरीक्षा करनी होती, तो उस में कमियाँ पाई जाती। परंतु क्योंकि अब्राहम ने परमेश्वर पर भरोसा किया, इसलिए उस को परमेश्वर के द्वारा वह श्रेय दिया गया जो उसका (अब्राहम का) अपना नहीं था।
"धर्मी माने जाने" की अवधारणा को बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए, एक ऐसे न्यायाधीश की कहानी पर विचार करें, जो अमेरिकी महामंदी के दौरान कार्यरत था।3 एक रात एक व्यक्ति को उसके न्यायालय में लाया गया। उस निराशा से घिरे व्यक्ति को अपने भूखे परिवार का पेट भरने के लिए रोटी चुराते हुए पकड़ा गया था। जब उसने अपनी कहानी का स्पष्टीकरण दिया, तब न्यायाधीश को उसके प्रति सहानुभूति हुई, किन्तु कानून ने न्यायाधीश को कोई और विकल्प नहीं दिया। "मुझे तुम्हें दंड देना ही पड़ेगा। कानून में कोई अपवाद नहीं है। दस डॉलर या दस दिन की जेल।" और फिर करुणा से भर कर, न्यायाधीश ने अपनी जेब में हाथ डाला और जुर्माना भरने के लिए दस डॉलर निकालें।
रोटी चुराने वाला न्यायाधीश की दया को ठुकराकर जेल जा सकता था, किंतु उसने ऐसा नहीं किया। वह न्यायाधीश पर निर्भर कर रहा था कि वह उसके लिए कुछ ऐसा करें जो वह स्वयं अपने लिए नहीं कर सकता था। और ऐसा करने से, उस व्यक्ति को कानून के संबंध में "सही" समझा (या माना) गया। उसी प्रकार, अब्राहम परमेश्वर के समक्ष एक पापपूर्ण (दोषी) व्यक्ति के रूप में खड़ा था (जैसा कि सारे मनुष्य खड़े हैं)। किंतु अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया। अब्राहम ने परमेश्वर पर वह करने के लिए भरोसा किया जो वह स्वयं अपने लिए नहीं कर सकता था। और भरोसा करने के द्वारा अब्राहम व्यवस्था के संबंध में सही माना गया।
पाठ २० में आदम और हव्वा के हमारे अध्ययन से याद करें कि परमेश्वर ने एक दिन एक 'छुड़ानेवाले' को भेजने की प्रतिज्ञा दी थी जो शैतान, पाप और मृत्यु पर सर्वदा के लिए विजय प्राप्त करेगा। अब्राहम को यह जानने की आवश्यकता नहीं थी कि परमेश्वर अंततः उसे पाप के परिणाम से कैसे बचाएगा। किंतु वह यह अवश्य जानता था कि केवल परमेश्वर ही वह है जो उसे पाप के परिणाम से बचा सकता है।
पूछें और मनन करें
- वह व्यक्ति जिसने रोटी चुराई थी, मूर्ख कहलाता यदि वह न्यायाधीश को उसके लिए वह नहीं करने देता जो वह स्वयं नहीं कर सकता था। किंतु ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने लिए वह करने का प्रयास करते हैं जो केवल परमेश्वर ही उनके लिए कर सकता है, अर्थात् अपनी योग्यता के आधार पर परमेश्वर के साथ सही ठहरना। ऐसा क्यों है? क्यों किसी को भी लगता है कि वे अपने दम पर पर्याप्त रूप से इतना अच्छा हो सकता है कि परमेश्वर के समक्ष सही ठहरे?
- आज जिन अनुच्छेदों पर हमने विचार किया, उनसे हम देख सकते हैं कि परमेश्वर न केवल अब्राहम को आशीष देना चाहता था बल्कि वह अब्राहम को उस आशीष में चलने के लिए आवश्यक हर एक चीज़ भी प्रदान करना चाहता था। यह हमें परमेश्वर के विषय में क्या बताता है?
निर्णय लें और करें
बाइबल की इफिसियों की पुस्तक में एक पद है जो कहता है, "क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, बल्कि परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे"(इफिसियों 2:8-9)| इस पद में जिस 'उद्धार' की बात हुई है, वह है: पाप के परिणाम से उद्धार। यह उद्धार एक दान है, न कि कोई ऐसी वस्तु जिसे हम कभी भी स्वयं अर्जित करने या उसका पात्र होने की आशा कर सकते हैं। अब्राहम के समान, हम उद्धार के दान के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं। अब्राहम के विपरीत, हम यह जान सकते हैं कि परमेश्वर ने इसे कैसे पूर्ण किया। यदि आप अभी तक इस अध्ययन मार्गदर्शिका के अंत में दिए गए 'परमेश्वर को जानना' खंड में नहीं गए हैं तो वहाँ जाने में देरी न करें।
इफिसियों 2:8-9 ९ पद विशेष रूप से पाप से उद्धार के बारे में बात करते हैं। पर सच, ऐसी बहुत-सी चीज़ें हैं जो केवल परमेश्वर ही हमारे लिए कर सकता है, ऐसी चीज़ें जो हम अपने लिए नहीं कर सकते। भजन संहिता 127:1-2, पढ़िए, फिर परमेश्वर से विनती करें कि वह आप पर प्रकट करें कि क्या कुछ ऐसा है जिसे आप अपने दम पर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो सच में केवल परमेश्वर ही कर सकता है। अब्राहम या न्यायाधीश के समक्ष उस व्यक्ति के समान बनें - उसे ग्रहण करें जो परमेश्वर आपको देना चाहता है।
Footnotes
1Definition of the Word “Righteous” from the Merriam-Webster Online Dictionary. (http://www.merriam-webster.com/dictionary/righteous). Retrieved October 10, 2006.
2Definition of the Word “Reckon” from Answers.com. (http://www.answers.com/topic/reckon ). Retrieved October 10, 2006.
3Brennan Manning, The Ragamuffin Gospel. (© Multnomah, 1990, pp 91–2; online at SermonIllustrations.com). (http://www.sermonillustrations.com/a-z/g/grace.htm). Retrieved November 10, 2006.