अब्राहम - अंत को आरंभ में ही जान लेना
वह वैसे ही चला जैसे परमेश्वर ने उसे पहले से ही दिखा दिया था।
प्रस्तावना
"तब यहोवा ने अब्राम से कहा, “यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, और उस देश के लोगों के दास हो जाएँगे; और वे उनको चार सौ वर्ष तक दु:ख देंगे। फिर जिस देश के वे दास होंगे उसको मैं दण्ड दूँगा : और उसके पश्चात् वे बड़ा धन वहाँ से लेकर निकल आएँगे। तू तो अपने पितरों में कुशल के साथ मिल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे में मिट्टी दी जाएगी।"
– उत्पत्ति १५:१३-१५
परमेश्वर ने अब्राहम को और उसके द्वारा संसार की सभी जातियाँ को आशीष देने की प्रतिज्ञा की। परमेश्वर ने इसी प्रकार की प्रतिज्ञा अब्राहम के पुत्र इसहाक और इसहाक के पुत्र याकूब से भी की।"
– “आशा” अध्याय ६
ध्यान से देखें और विचार करें
अध्याय २६-३० में हमने अब्राहम और उसके जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं का अध्ययन किया था। जैसा कि आपको स्मरण होगा कि परमेश्वर ने अब्राहम को बुलाहट दी और उसे प्रतिज्ञा दी कि वह समस्त जातियों के लिए आशीष का कारण ठहरेगा। आगे बढ़ने से पहले, परमेश्वर ने जिस आशीष की प्रतिज्ञा की थी, उसके विषय में इन बातों पर विचार करें:
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यद्यपि वह आशीष अब्राहम के माध्यम से मिली, तथापि यह उस हर एक जन के लिए है जो इसे विश्वास के साथ ग्रहण करने के लिए इच्छुक है।
- बाइबल आशीष की प्रतिज्ञा को 'वाचा' कहती है। 1 जब परमेश्वर ऐसी एक वाचा बाँधता है,2 तो जो वह कहता है, उसे पूर्ण करना एक अटल प्रतिज्ञा बन जाती है। उस वाचा को पूर्ण करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, परमेश्वर अवश्य करेगा।
- परमेश्वर जो अनादि, सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान है 3 यह जानने का प्रयास नहीं कर रहा है कि उस वाचा को कैसे पूर्ण किया जाए। उसके पास पहले से ही हर एक विवरण की योजना है। यह बात अगले कुछ पाठों में और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।
जैसे-जैसे हम "आशा" को आगे देखेंगे, तो हम जानेंगे कि परमेश्वर ने अब्राहम के पुत्र इसहाक और इसहाक के पुत्र याकूब से उसी "प्रकार" की प्रतिज्ञा की थी। शब्द "प्रकार" से "आशा" इस तथ्य की और ध्यान दिलाती है, कि भले ही परमेश्वर ने इसे अलग शब्दों में कहा हो, परंतु यह मूल रूप से वही प्रतिज्ञा थी जो अब्राहम के वंशजों की पीढ़ियों में आगे बढ़ती गई। वे लोग, एक तरह से, अब्राहम से की गई परमेश्वर की प्रतिज्ञा में प्रवेश कर रहे थे।
अब जैसा कि हमने चर्चा की है कि, इस प्रतिज्ञा के पूर्ण होने की योजना परमेश्वर द्वारा बड़े विस्तार से बनाई गई है। इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए आइए हम उत्पत्ति 15. पर एक बार फिर से विचार करते हैं। यहाँ हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने अब्राहम को धर्मी कहा (पाठ २७)। इस पाठ में हमने यह भी पढ़ा कि परमेश्वर ने, अब्राहम को एक गहरी नींद देने के बाद, एक विस्तृत दर्शन के द्वारा बताया कि न केवल उसके जीवनकाल में बल्कि आगामी कई वर्षों में भी आगे क्या होने वाला है।
यह दर्शन उपर्युक्त दिए गए पवित्रशास्त्र के लेखांश में वर्णित है। इस बात पर ध्यान दें कि यह कितना विशिष्ट है।
- अब्राहम के वंशज परदेशी होकर उस देश में रहेंगे जो उनका अपना न था।
- वे वहाँ दास बनकर रहेंगे और चार सौ वर्ष तक प्रताड़ित किए जाएँगे।
- अंत में परमेश्वर उस देश पर न्याय डालेगा, जिसने उन्हें दास बनाया था।
- परमेश्वर के न्याय के बाद, अब्राहम के वंशज बड़ा धन लेकर वहाँ से निकल जाएँगे।
- अब्राहम की मृत्यु, बुढ़ापे में शांति से होगी।
इस बात को ध्यान में रखें कि अब्राहम को यह दर्शन इश्माएल के जन्म से पहले, इसहाक के जन्म से पहले और यहाँ तक की इसहाक के स्थान पर परमेश्वर द्वारा एक बलिदान प्रदान कराने से भी पहले दिखाई दिया था।
परमेश्वर की योजना किसी भी व्यक्ति से सबसे बड़ी होती है। आशा है इसे पढ़ने से आपको यह समझने में सहायता मिली होगी कि अब्राहम किस प्रकार इतना आश्वस्त हो सकता है कि वह इसहाक से यह कह सके कि “परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा?" अब्राहम ने अंत को आरंभ में ही देख लिया था। वह जानता था कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के लिए इसहाक का बचना अनिवार्य है। एक तरह से, उसका शेष जीवन तो बस उन बातों को अनुभव करने का साधन बन जाता है जो परमेश्वर ने उस पर पहले से ही प्रकट कर दी थीं।
इस अध्याय के शेष भाग में हम देखेंगे कि परमेश्वर ने अब्राहम के दर्शन को किस प्रकार पूर्ण किया। आपने वह कहावत तो सुनी होगी, "विवरणों में ईश्वर है।" (अर्थात् छोटे-छोटे विवरणों पर ध्यान देने से अंततः महान परिणाम प्राप्त होंगे)। आशा है कि इस अध्याय के अंत तक, जैसे-जैसे हम विवरणों पर विचार करते जाएँगे, वैसे-वैसे हम परमेश्वर की उपस्थिति और शक्ति के महान प्रमाण देखते जाएँगे!
पूछें और मनन करें
- क्या इस बात को जानने से कोई फर्क पड़ना चाहिए कि परमेश्वर के पास इस संसार में रहने वाले सभी लोगों के लिए एक विस्तृत योजना है?
- स्मरण करें कि जब परमेश्वर ने अब्राहम को भविष्य का एक दर्शन दिया था, तब अब्राहम ने अंत को आरंभ में ही जान लिया था। बाइबल की प्रतिज्ञाओं के माध्यम से परमेश्वर हर एक व्यक्ति को, जो उस पर भरोसा करता है, उसके जीवन की कहानी का अंत दिखाता है। हमें पता है कि परमेश्वर में एक विश्वास के जीवन का गंतव्य स्थान, उसके साथ स्वर्ग में है। यह ज्ञान हमें किस प्रकार प्रभावित करना चाहिए?
- परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के बावजूद, क्या आपको कभी भविष्य की चिंता सताती है? क्यों?
निर्णय लें और करें
जब परमेश्वर कोई प्रतिज्ञा करता है, तो उसे पूर्ण करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक होगा, वह करेगा। यदि आवश्यक हो तो वह व्यक्तियों को, यहाँ तक की जातियों को भी अपने स्थान से हिला देगा। इस सत्य के प्रकाश में, परमेश्वर के वचन (पवित्रशास्त्र) में से उन सैकड़ों प्रतिज्ञाओं को खोजने का निश्चय करें जो उन लोगों के लिए लिखी गई हैं जो उस पर भरोसा रखते हैं, और साथ ही उसकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा रखना और विश्राम करना सीखें, यह जानते हुए कि वह अपने वचन के प्रति सर्वदा विश्वासयोग्य है।
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- Dr. Charles Stanley, God’s Promises. InTouch Ministries. (http://ww2.intouch.org/site/c.7nKFISNvEqG/b.1034467/k.9C8E/Gods_Promises.htm). Retrieved October 11, 2006.
Footnotes
1Matthew Slick, Covenant, Christian Apologetics and Research Ministry. (http://www.carm.org/doctrine/covenant.htm). Retrieved on October 11, 2006.
2GotQuestions.org, What are the Different Covenants in the Bible? (http://www.compellingtruth.org/covenants-in-the-Bible.html). Retrieved June 17, 2014.
3Review Lesson 6 of this study guide.