फसह का पर्व – प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले की छवियाँ
प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले की एक तस्वीर
प्रस्तावना
"इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो; इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक एक मेम्ना ले रखो; ... तुम्हारा मेम्ना निर्दोष और एक वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से। और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन गोधूलि के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें।"
– निर्गमन १२:३, ५, ६
‘और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिह्न ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊँगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूँगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नष्ट न होगे।"
– निर्गमन १२:१३
"मूसा मिस्र लौट आया। और अपने भाई हारून के साथ वह फ़िरौन के पास गया। लेकिन फ़िरौन का हृदय इब्री लोगों के प्रति कठोर हो गया था और उसने उन्हें मिस्र से जाने की अनुमति नहीं दी। इसलिए परमेश्वर ने मिस्र पर एक के बाद एक कई महामारियाँ भेजी। परंतु उनमें से किसी भी महामारी ने इब्री लोगों को छुआ तक नहीं। प्रत्येक महामारी के बाद, फ़िरौन फिर भी लोगों को जाने देने से मना करता रहा। तब परमेश्वर ने प्रत्येक इब्री परिवार को आदेश दिया कि वे एक मेमने का वध करें और उसके लहू को अपने घरों के द्वार पर लगा दें। और परमेश्वर ने उस देश के सभी पहलौठे पर मृत्यु भेजी, सिवाय उनके, जो उन घरों में थे जिनके प्रवेश-द्वार पर लहू लगा था। जैसे अदन की वाटिका में आदम और हव्वा, और पर्वत पर अब्राहम और उसके पुत्र के साथ हुआ था, यह एक चित्रण था कि किस प्रकार एक दिन एक बलिदानी-विकल्प मानवजाति को छुटकारा दिलाएगा- शैतान, पाप और मृत्यु से।"
– "आशा" अध्याय ६
ध्यान से देखें और विचार करें
जैसे की हम उपर्युक्त बाइबिल के पदों और "आशा" से उद्घृत अंश में से देखते हैं, मूसा अपने लोगों को बँधुआईसे छुड़ाने के लिए मिस्र लौट आया। परंतु मिस्र के शासक ने उन्हें भेजने से इनकार कर दिया, यहाँ तक कि जब परमेश्वर ने उन पर एक के बाद एक कई विपत्तियाँ भेजीं, जिससे उसे यह एहसास हो जाना चाहिए था कि मूसा के अनुरोध के पीछे परमेश्वर स्वयं था, तब भी उसने उन्हें नहीं भेजा। नौ विपत्तियों के बाद, जिससे बीमारियाँ, कीड़े-मकोड़े, रेंगने वाले जंतु, और विभिन्न प्राकृतिक आपदाएँ मिस्र के ऊपर आयीं (परन्तु इब्री लोगों के ऊपर नहीं आयीं),1 परमेश्वर ने मूसा से कुछ ऐसा स्थापित करने के लिए कहा जो आज के दिन तक इब्रानी लोगों द्वारा एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसे 'फसह का पर्व' नाम से जाना जाता है।
मूसा के माध्यम से परमेश्वर ने इब्री परिवारों को निर्देश दिया कि वे अपने घरों में एक निर्दोष मेमना ले आयें और चार दिनों तक उसकी देखभाल करें। वह निर्मल, मासूम मेमना घर के सदस्य जैसा हो गया होगा! चार दिनों के पश्चात उन्हें उस मेमना की बलि देनी थी और भोजन तैयार करना था। परमेश्वर ने उन्हें मेमना तैयार करने, और उसके साथ क्या खाना चाहिए, इसके विषय में विशेष निर्देश दिए थे। फसह के भोजन का प्रत्येक तत्व विशेष गहन अर्थ रखता था। इस विषय पर अनेक पुस्तकें लिखीं गई हैं। (देखें " अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें")
परमेश्वर ने इब्री लोगों को यह भी निर्देश दिया कि वे मेमने का लहू अपने घरों के द्वारों पर लगाएँ। परमेश्वर ने कहा कि वह देश के सब पहिलौठों पर मृत्यु भेजेगा, और जिन घरों के द्वारों पर लहू लगा होगा उन को वह छोड़ता जाएगा। और जैसा परमेश्वर ने कहा था सबकुछ ठीक वैसा ही हुआ।
इस कहानी से कई सबक सीखे जा सकते हैं, किंतु शायद मुख्य बात परमेश्वर के संरक्षण और उन लोगों के छुटकारे से संबंधित है जो उस पर भरोसा करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं। इब्री लोग स्वयं को बँधुआईसे या उस न्याय से जो उनके चारों और पड़ रहा था, नहीं बचा सकते थे। परन्तु परमेश्वर ने एक बार फिर से छुटकारे का रास्ता मार्ग प्रदान किया। जिस प्रकार परमेश्वर ने आदम और हव्वा के लिए एक आवरण, नूह के लिए एक जहाज, और अब्राहम के पुत्र के लिए एक बलिदानी विकल्प प्रदान किया, उसी तरह परमेश्वर ने फसह का मेम्ना भी प्रदान किया ताकि इब्री लोगों को बचाया जा सके।
परमेश्वर की ओर से इन "प्रबंधों" में से प्रत्येक प्रावधान प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के बारे में कोई न कोई बात प्रकट करता है। जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं उनके लिए प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाला एक आवरण के समान है जो उन्हें पाप के परिणामों से बचाएगा। वह एक जहाज के समान है जो उन्हें न्याय में से सुरक्षित निकाल ले आएगा। वह स्वयं को उनकी खातिर उसी तरह दे देगा जैसे कि परमेश्वर ने झाड़ियों में फंसा मेढ़ा (नर भेड़) इसहाक के लिए दे दिया था। और फसह के मेमने के समान उसका लहू उन पर एक चिन्ह होगा ताकि वे उसके माध्यम से मृत्यु से बच जाएँ।
पूछें और मनन करें
- जब हम उपर्युक्त सूचीबद्ध किए गए परमेश्वर के 'प्रबंधों ' पर विचार करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि परमेश्वर हमारी सहायता करने के लिए हर हद तक गया ताकि हम यह समझ सकें कि परमेश्वर पर भरोसा करने वालों के लिए प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाला कौन और कैसा होगा। ये उदाहरण परमेश्वर के प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के बारे में क्या बातें प्रकट करते हैं?
- जैसा कि हम आगामी पाठों में देखेंगे, प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाला, कुछ लोगों द्वारा, 'परमेश्वर का मेमना' कहलाया जाएगा। इन निर्देशों के विषय में आपके क्या विचार हैं - इब्री लोगों द्वारा एक निर्दोष मेमने को अपने घर ले आना, उसके साथ इतने दिन रहना कि उससे लगाव हो जाए, और फिर उसका वध करना ताकि उसका लहू उन्हें मृत्यु से बचा सके?
- किसी वस्तु का मूल्य उस कीमत से मापा जा सकता है जो कोई व्यक्ति उसके लिए देने को तैयार हो। और किसी समस्या की गंभीरता इस बात से आँकी जाती है कि कोई व्यक्ति उसका समाधान ढूँढने के लिए किस हद तक जाने के लिए तैयार है। कल्पना कीजिए कि जब पिता ने फसह के मेमने का वध किया होगा तो परिवार के बच्चों के मन में क्या चल रहा होगा। वे इसे एक भयावह कृत्य के अलावा किसी और रूप में नहीं समझ सकते होंगे। या फिर उन्हें इस बात का बोध हो सकता था कि इस कार्य की गंभीरता उतनी ही अधिक है जितनी अधिक गंभीरता उस आवश्यकता की है जिसकी पूर्ति यह कर रहा था। शैतान, पाप और मृत्यु पर सदा सर्वदा के लिए विजय प्राप्त करने के प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के विशेष कार्य के महत्त्व को बेहतर रीति से समझने में यह हमारी किस प्रकार सहायता कर सकता है?
निर्णय ले और करें
इब्री लोगों को दिए गए मूसा के निर्देश उस समय हो सकता है अजीब-से लगे हों। हो सकता है यही उस समय भी हुआ हो जब परमेश्वर ने नूह को जलप्रलय नामक किसी घटना की तैयारी के लिए एक जहाज बनाने का निर्देश दिया था। इस तथ्य का ध्यान रखते हुए कि तब तक पृथ्वी पर कभी भी वर्षा नहीं हुई थी, यह समझना आसान है कि लोगों ने क्यों नूह का उपहास किया होगा। फिर भी, जो न्याय उन पर पड़ा उसे ध्यान में रखते हुए ये निर्देश विचित्र नहीं लगते हैं।
क्या परमेश्वर आपसे कुछ ऐसा करने के लिए कह रहा है जो आपकी आस-पास की दुनिया के मानकों के अनुसार अजीब लगता है? यदि ऐसा है, तो नूह, मूसा और इब्री लोगों के समान बनें। परमेश्वर पर भरोसा करें और उसकी आज्ञा का पालन करें। वह आपकी रक्षा करेगा और आपको आशीष देगा।
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- Passover. (Jews for Jesus, 2006). (http://www.jewsforjesus.org/judaica/passover). Retrieved October 13, 2006.
- Moishe Rosen and Ceil Rosen. Christ in the Passover, (Moody Bible Institute, 1978). (http://www.amazon.com/Christ–Passover–Moishe–Rosen/dp/0802413897/sr=8–32/qid=1158163699/ref=sr_1_32/102–1316407–0306557?ie=UTF8&s=books). Retrieved October 17, 2006. Book Description from Amazon.com: A best–selling title from the ministry of Jews for Jesus, Christ in the Passover is now revised with an updated appendix. It is written for Jews, messianic believers, and Gentiles curious about the connection between the ancient holy day of the Old Testament and Jesus Christ, and for missionaries evangelizing to Jewish people. A comprehensive and convincing look at how the Passover is fulfilled in Christ.
Footnotes