अप्रत्याशित (नामुमकिन) बातों का परमेश्वर

यीशु का जन्म


प्रस्तावना

"स्वर्गदूतनेउससेकहा,हेमरियम, भयभीतहो, क्योंकिपरमेश्वरकाअनुग्रहतुझपरहुआहै।देख, तूगर्भवतीहोगी, औरतेरेएकपुत्रउत्पन्नहोगा; तूउसकानामयीशुरखना।"

– लूका १:३०-३१

"औरवहअपनापहिलौठापुत्रजनीऔरउसेकपड़ेमेंलपेटकरचरनीमेंरखा; क्योंकिउनकेलियेसरायमेंजगहथी।"

– लूका २:७

"हज़ारोंवर्षोंकीप्रतीक्षाऔरराहदेखनेकेबाद, आख़िरकार, ऐसाहोहीगया। एकरातनासरतनगरमें, मरियमनामकीएककुँवारीकेपासएकअप्रत्याशितमेहमानआया।परमेश्वरकेएकस्वर्गदूतनेउसेबतायाकिवहएकपुत्रजनेगीऔरवहउसकानामयीशुरखेगीजिसकाअर्थहै- “प्रभुहमाराछुड़ानेवाला।“

...लेकिनबेतलेहेममेंबहुतभीड़थीऔरमरियमकेठहरनेकेलिएकोईजगहभीनहींथी।अतःउन्होंनेएकगौशालामेंआश्रयलिया।औरऐसाहुआकिप्रतिज्ञाकियाहुआछुड़ानेवाला, परमेश्वरकापुत्र, इससंसारमेंएकबालककेरूपमेंबहुतहीसाधारणहालातमेंपैदाहुआ।"

– "आशा" अध्याय ८

ध्यान से देखें और विचार करें 

परमेश्वर प्रायः कार्यों को हमसे बहुत ही अलग रीति से करता है। सच तो यह है कि वह ऐसे कार्य करता है जिनकी हम अपेक्षा भी नहीं करते। यशायाह 55:8 में लिखा है, "यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं हैं, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।" इस पद की सच्चाई का एक अविश्वसनीय चित्रण परमेश्वर के प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के आगमन में देखने को मिलता है। उसके आगमन के विषय में दो बातों पर ध्यान दें :

पहली, यह अपेक्षा करने के बजाय कि मनुष्य परमेश्वर के लिए एक मार्ग तैयार करें, वह स्वयं मनुष्य के पास आया! यह सरल किंतु अत्यंत प्रभावशाली सत्य ही बाइबल के अतिमहत्वपूर्ण संदेश को संसार के हर एक धार्मिक संगठन से भिन्न करता है। दूसरे धर्म सिखाते तो हैं कि मनुष्य को ईश्वर तक पहुँचने के लिए क्या करना चाहिए। मगर ऐसी शिक्षाएँ: १) परमेश्वर और मनुष्य के बीच पाप द्वारा निर्मित खाई की थाह को पहचानने में असफल रहती हैं, २) उस खाई को पाटने के लिए मनुष्य की क्षमता का बख़ान करती हैं, और ३) परमेश्वर की पवित्रता कम आँकती हैं, इस बात पर ज़ोर डाल कर कि ऐसी बातों का होना संभव भी हो सकता है। बाइबल हमें सिखाती है कि परमेश्वर के लिए एक मार्ग तैयार करने के लिए मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है, परंतु परमेश्वर ने मनुष्य से इतना अधिक प्रेम किया कि वह स्वयं उसके पास आ गया!

दूसरा, इस बात पर विचार करें कि परमेश्वर मनुष्य के पास किसरीतिसे आया। वह मनुष्य के पास उस रीति से आया जो इतनी अतरंग और विनम्र है कि हमारी सोच से भी पर है। वह बहुत ही साधारण से हालात में: एक आम से चरनी में, एक कुँवारी युवती के द्वारा जन्म लेकर एक नन्हें बालक के रूप में आया। यह एक ऐसी दृश्‍यावली नहीं है जिसकी रचना मनुष्य का मस्तिष्क कर सके। यह परमेश्वर की रीति है।

कई धार्मिक धारणाएँ भौतिक संसार को मूलभूत रूप से दुष्ट मानती हैं। इन धर्मों के लिए, यह विश्वास करना घृणित होता है कि वह पवित्र सृष्टिकर्ता परमेश्वर मनुष्य की देह धारण करेगा और स्वयं को पाप से भरी, इस पतित सृष्टि के अधीन करेगा।1 (अगले पाठ में हम इस विषय पर और अधिक चर्चा करेंगे)

यहाँ तक कि वे लोग जो परमेश्वर के आगमन की अद्भुत रीति को स्वीकार कर सकते हैं, उनके लिए भी, जिस रीति से वह आया था, उसे मानना अजीब था। वह चुपचाप आया, गुमनामी में। जब कोई राजनीतिक उम्मीदवार चुनाव लड़ने का फैसला करता /करती है, तो वह अक्सर एक जनसंपर्क कंपनी को अपना "प्रतिनिधित्व" करने के लिए नियुक्त करता/करती है। इसका लक्ष्य होता है, जितना संभव हो उतना दृश्यता और जनहित बनाकर अभियान को गतिशील बनाना। यही बात उस मनोरंजनकर्ता के बारे में भी सच होती है, जो किसी कार्यक्रम के दौरे पर जाने की तैयारी कर रहा होता है या एक ऐसी फिल्म के लिए तैयारी कर रहा होता है जो वितरण के लिए जाने वाली है। प्रेस विज्ञप्तियाँ जारी होती हैं और प्रचार पूरे ज़ोर-शोर से होने लगता है।

परमेश्वर का प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाला बिना किसी धूमधाम और प्रचार के आया। सांसारिक समझ से देखें तो इस घटना के दर्शक थोड़े-से ही थे- बस कुछ चरवाहे और गौशाला के कुछ पशु। यही वह घटना है जिसके द्वारा पश्चिमी सभ्यता समय (ईसा पूर्व और ईस्वी)2 को मापती है, फिर भी इस घटना पर  उस समय और उस स्थान के अधिकांश लोगों ने ध्यान नहीं दिया। हालाँकि, आत्मिक लोक में, स्वर्गदूतों के स्वर्गीय दर्शक समूह ने एक स्वर्गीय जय-जयकार के साथ स्तुतिगान किया जब अनंत परमेश्वर ने मनुष्य देह धारण कर स्थान और समय में प्रवेश किया! (लूका 2:13).

पूछें और मनन करें

  • क्या आपको कभी किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के आगमन की व्यवस्था करने का भार सौंपा गया है? यदि हाँ, तो उस व्यक्ति के आगमन के लिए आपके द्वारा बनाई गई योजनाएँ, परमेश्वर के पुत्र के आगमन के लिए उसके द्वारा बनाई गई योजनाओं से किस प्रकार भिन्न थीं?
  • आपको क्या लगता है कि परमेश्वर उस प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले को इस संसार में इस रीति से क्यों नहीं लाया कि समस्त संसार को पता चलता?

निर्णय लें और करें

इस बारे में सोचते समय कि परमेश्वर किसी कार्य को किस रीति से करने वाला है या आपके जीवन में वह किस रीति से प्रकट होगा, पूर्वकल्पित धारणाओं से बचे रहें।

युसूफ और मरियम को सराय में एक बिछौना नहीं मिला क्योंकि उनके लिए सराय में कोई कमरा खाली नहीं था। उस शाम बैतलहम में बहुत भीड़ थी और बहुत अधिक चहल-पहल थी, इसलिए बहुत से लोग इस तथ्य को जानने से चूक गए कि उनके मध्य अनंतकालीन अभिप्राय का कोई महत्वपूर्ण कार्य घट रहा था। वे लोग इसलिए नहीं चूक गए क्योंकि वे बुरे कार्य कर रहे थे बल्कि वे इसलिए चूक गए क्योंकि वे लोग अपने ही कार्यों में लीन थे - इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ कि परमेश्वर उनके मध्य उपस्थित था।

छुड़ानेवाले के आगमन के समान, परमेश्वर आपके जीवन में भी कोई महत्वपूर्ण कार्य करना चाहता है, परंतु हो सकता है कि वह उसे करने के लिए एक बिल्कुल ही अप्रत्याशित रीति अपनाए। यदि आप उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं तो आप उसे नहीं देख पाएँगे। आपके जीवन में परमेश्वर द्वारा अप्रत्याशित बातें किए जाने के लिए तैयार रहें। 

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Footnotes

1The Big Religion Chart. (© ReligionFacts Website, 2004–2006). Comparison of 25+ world religions. (http://www.religionfacts.com/big_religion_chart.htm). Retrieved October 26, 2006.
2Marshall Brain, How Time Works. (How Stuff Works Inc., 1998–2006). (http://people.howstuffworks.com/time7.htm), Retrieved October 25, 2006.

Scripture quotations taken from the NASB