इस महान कहानी का अंतिम लक्ष्य
प्रत्येक जाति से आराधक
प्रस्तावना
"तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, "हे शापित लोगो, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।"
– मत्ती २५:४१
"परन्तु जैसा लिखा है, "जो बातें आँख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।"
– १ कुरिन्थियों २:९
"पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी।"
– २ पतरस ३:१३
"वे यह नया गीत गाने लगे, "तू इस पुस्तक के लेने, और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल और भाषा और लोग और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है, और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।"
– प्रकाशितवाक्य ५:९-१०
"हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि केवल तू ही पवित्र है। सारी जातियाँ आकर तेरे सामने दण्डवत् करेंगी, क्योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं।"
– प्रकाशितवाक्य १५:४
"और यह उस दिन से लेकर आज तक ऐसा ही होता चला आ रहा है। जब भी कोई व्यक्ति यीशु पर विश्वास लाता है कि वह परमेश्वर का बलिदानी मेमना और सबका जी उठनेवाला प्रभु है, तो उसके पाप क्षमा हो जाते हैं और परमेश्वर का आत्मा उसके जीवन में वास करता है और उसे अनन्त जीवन प्रदान करता है।
जिन्होंने यीशु के पीछे चलने का निर्णय किया है उनकी गिनती करोड़ों में बढ़ गई है। और परमेश्वर की कथा के अनुसार एक दिन ऐसा आएगा जब उसके अनुयायिओं में आकाश के तले के हर कुल और जाति के लोग शामिल होंगें। तब, यीशु वापस आएगा, जैसे कि उसने प्रतिज्ञा की थी।
हर समय में, जिन्होंने भी यीशु को नकारा है, वे सदा के लिए परमेश्वर से अलग कर दिए जाएँगे और उस स्थान पर भेज दिए जाएँगे जो शैतान और उसके अनुयायिओं के लिए तैयार किया गया है। परंतु जिन्होंने यीशु पर विश्वास किया, वे जानेंगें कि जीवन की सही रीति है- परमेश्वर के साथ रहना... सदा के लिए।"
– “आशा” अध्याय १२
ध्यान से देखें और विचार करें
चर्चा करने के लिए नरक से अधिक अप्रिय विषय और कोई नहीं है। किंतु यदि नरक एक वास्तविकता है, तो वास्तविकता के विषय में बात करने से कतराने से अधिक प्रेमरहित और कुछ भी नहीं है। बाइबल में नरक के विषय से संबंधित सैकड़ों अनुच्छेद उपलब्ध हैं। पवित्रशास्त्र के अन्य सभी लेखकों की तुलना में यीशु ने नरक के विषय में अधिक बातें की हैं। नरक एक वास्तविकता है, और यीशु मसीह लोगों को स्पष्ट चेतावनी देना चाहता था ताकि लोग अनंतकाल के लिए नरक में जाने से बच जाएँ।
विषय के बारे में हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि १) नरक की रचना मनुष्यों के लिए नहीं बल्कि शैतान और उसके स्वर्गदूतों के लिए की गई थी ((मत्ती 25:41), और २) यीशु लोगों को नरक में नहीं भेजता है, वे लोग यीशु के माध्यम से मिलने वाले परमेश्वर के उद्धार को नकार कर स्वयं ही इसका चुनाव करते हैं (यूहन्ना 12:48). सच्चाई तो यह है कि जन्म लिया हुआ प्रत्येक व्यक्ति नरक का भागी होता यदि यीशु ने उनके पापों का दाम नहीं चुकाया होता और यदि उन्होंने, यीशु ने जो उनके ख़ातिर किया, उसे ग्रहण करने के परमेश्वर के निमंत्रण को नकार दिया होता। या फिर इसे एक दूसरे नज़रिए से देखते हैं, संपूर्ण स्वर्ग यीशु के ही विषय में है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति यीशु को नकारता है तो वह, वास्तव में, स्वर्ग को नकार रहा है।
यीशु के साथ अनंतकाल और यीशु के बगैर अनंतकाल के बीच की दूरी और अंतर से बड़ा कुछ और नहीं हो सकता। इसके तुल्य कुछ नहीं है। 1 कुरिन्थियों 2:9,बताता है कि, परमेश्वर ने उनके लिए जो उससे प्रेम करते हैं ऐसा कुछ अद्भुत बनाया है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। उपर्युक्त बाकी पदों को देखने से हमें पता चलता है कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं, उन्हें एक नए आकाश (स्वर्ग) और नई पृथ्वी पर रहने के लिए तैयार किया जाएगा, जहाँ वे लोग उसके साथ राज्य करेंगे (प्रकाशितवाक्य 22:5) और उसे महिमा देंगे, (भजन संहिता 86:12) युगानुयुग तक!
हमारे अध्ययन के आरंभ में हमने सीखा था कि बाइबल एक "मेटानैरेटिव" है, एक ऐसी भव्य कथा (महान कहानी) जिसमें अन्य सभी कहानियाँ अपना अर्थ ढूँढ लेती हैं। 1 बाइबल संपूर्ण मानव इतिहास को परिपेक्ष में रखती है। जैसे-जैसे हम अपने अध्ययन के समापन के निकट बढ़ते हैं, हम देखते हैं कि इन सब बातों का उद्देश्य मनुष्य को आशीष देना है ताकि परमेश्वर सदा सर्वदा के लिए धन्य हो और उसकी महिमा हो। इस भव्य कहानी का लक्ष्य है - परमेश्वर को महिमा मिलना। जैसा कि धर्मशास्त्री जॉन पाइपर कहते हैं, "सब बातों का परम लक्ष्य यह है कि प्रत्येक जाति, भाषा, लोग और देश से छुटकारा पाए हुए असंख्य लोगों के द्वारा परमेश्वर की आराधना अति स्नेह सहित हो सकें।" 2 क्या आपका लक्ष्य भी यही है?
पूछें और मनन करें
कुछ लोग स्वर्ग इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि वे उसे एक ऐसे स्थान के रूप में देखते हैं जहाँ उनके मन की सभी गहन इच्छाएँ पूर्ण होंगी। वे कल्पना करते हैं कि वे सदा सर्वदा के लिए प्रसन्न रहेंगे। किंतु यदि जॉन पाइपर ने इस संसार में परमेश्वर के लक्ष्य का सार सही निकाला है, तो स्वर्ग का एक अनंतकालीन उद्देश्य है, और वह उद्देश्य यह नहीं है कि हमें वह सबकुछ मिले जो हमें हमारे सांसारिक अस्तित्व में नहीं मिला। हाँ, यह सत्य है कि स्वर्ग में हमारी गहन इच्छाएँ पूर्ण होंगी और हम प्रसन्न रहेंगे किंतु यह आवश्यक नहीं कि यह उन बातों के अनुरूप हो, जिन बातों को हम सोचते हैं कि वे संसार में हमारी प्रसन्नता का कारण है। स्वर्ग का प्रत्येक नागरिक किसी न किसी प्रकार से, स्वयं को परमेश्वर को सदा सर्वदा के लिए महिमित करने के उद्देश्य के प्रति समर्पित कर परिपूर्ण हो जाएगा। स्वयं से पूछें:
- क्या मैं परमेश्वर को महिमित करने की इच्छा करता हूँ ?
- क्या मैं परमेश्वर की इच्छा करता हूँ ?
- यदि नहीं तो क्यों नहीं? यदि परमेश्वर कि नहीं, तो मैं किस वस्तु की इच्छा करता हूँ ? यदि परमेश्वर नहीं तो मेरी इच्छा का विषय कौन है?
निर्णय लें और करें
हम अपने अध्ययन के अंत के बहुत ही निकट हैं। यदि आप अपने अनंत गंतव्य के बारे में निश्चित नहीं हैं, किंतु आप निश्चिंत होना चाहते हैं, तो तुरंत इस अध्ययन मार्गदर्शिका के अंत में दिए गए 'परमेश्वर को जानना' खंड में जाएँ, उसे पढ़ें और उस पर सावधानीपूर्वक मनन करें। इसे छोड़िए मत। हो सकता है अनंतकाल आप की अपेक्षा से कहीं अधिक निकट हो।
यदि आप परमेश्वर को जानते हैं, किंतु आप स्वर्ग के बारे में और अधिक जाना चाहते हैं तो इस पृष्ठ के नीचे सूचीबद्ध संसाधनों में से किसी एक पर अध्ययन करने का विचार करें। आपको अनंतकाल के विषय में जानने के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- Randy Alcorn, In Light of Eternity. Waterbrook Press, 1999. The author challenges us to live our lives in light of eternity, and helps us realize that what we really crave is found there.
- Randy Alcorn, Heaven. Tyndale House Publishers, 2004. This book provides us with a thoroughly researched biblical description of heaven. Many of us have serious questions about heaven, and also some not–so–serious questions. Alcorn addresses these issues and helps us to develop a greater understanding and deeper longing for our eternal destination.
- Ted Dekker, The Slumber of Christianity: Awakening a Passion for Heaven on Earth. Nelson Books, 2005. The author challenges believers, asking us to wake up from our bored slumber and remember our central hope. His goal is to ignite our passion for the exotic and pleasurable eternal inheritance that God has planned for those of us who will inherit His kingdom in heaven.
- Dr. Bill Gillham, False Notions. (© Lifetime Guarantee Ministries, 1997–2006. This article originally appeared in the October, 2000 issue of Discipleship Journal). Retrieved December 8, 2006.
Footnotes
1Review Lesson 5.
2John Piper, There Is No Greater Satisfaction! (© Desiring God, 1990). (http://www.desiringgod.org/resource-library/articles/there-is-no-greater-satisfaction). Retrieved August 20, 2013.