निर्माण - भाग २
सृष्टि के लिए एक वैज्ञानिक तथ्य
प्रस्तावना
उसकी कहानी के अनुसार परमेश्वर ने कहा और उसकी सृष्टि अस्तित्व में आ गई। अपने वचन के द्वारा उसने सब कुछ बनाया - शून्य में से। ...उसकी कहानी के अनुसार, परमेश्वर ने स्वर्गों, पृथ्वी और सभी जीवित प्राणियों को छ: दिनों में बनाया!
– “आशा” अध्याय १
ध्यान से देखें और विचार करें
उन लोगों के मध्य भी जो लोग यह मानते हैं कि संसार की रचना परमेश्वर के द्वारा की गई है, बाइबल में वर्णित सृष्टि की रचना के बारे में अलग-अलग व्याख्याएँ हैं। हालाँकि, प्रमुख बाइबल विचारों के बीच कई प्रमुख अवधारणाओं पर आपसी सहमति भी है। “आशा” वीडियो के पिछले अंश को पढ़ने के बाद, आइए इन अवधारणाओं में से कुछ पर विचार करते हैं।
पहली, क्योंकि परमेश्वर सर्वशक्तिमान है, वह किसी भी बात से सीमित नहीं है, इसलिए वह जैसे चाहे वैसे सृजन कर सकता है, यहाँ तक कि मात्र बोलकर भी। इस अवधारणा को बाइबिल में स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है :
"तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।"(उत्पत्ति १:३)
“परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी।” (२ पतरस ३:५)
दूसरी, परमेश्वर ने सब कुछ बनाया - शून्य में से। इस पर विचार करें। जब हम मनुष्य किसी चीज़ की रचना करते हैं, तो हम किसी ऐसी वस्तु का प्रयोग करते हैं या उस पर कुछ रचते हैं, जो हमारे सामने होती है। जब हम किसी चीज़ की "रचना" करते हैं तो वास्तव में हम उसकी "पुनः रचना" करते हैं। लेकिन परमेश्वर जो शून्य में से रचना करता है, उसकी रचनात्मकता सर्वश्रेष्ठ है:
“.....परमेश्वर जो मरे हुए को जीवन देता है और जो नहीं है, उन्हें अस्तित्व देता है।” (रोमियों ४:१७)
तीसरी, परमेश्वर ने समस्त संसार को छ: दिनों में बनाया! हम देखते हैं कि इस अवधारणा को बाइबल में स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है:
"क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया..." (निर्गमन २०:११)
हालांकि, बाइबल का अध्ययन करने वाले अध्ययनकर्ता लंबे समय से "छह दिनों" के अर्थ पर वाद-विवाद करते रहे हैं, यह दावा कि आकाश और पृथ्वी, और उसमें जो कुछ भी है परमेश्वर ने बनाया है, स्पष्ट रूप से उस धारणा के विपरीत है जो कहती है कि संसार एक प्राकृतिक जैव विकास प्रक्रिया का परिणाम है।
जैव विकास का समर्थन करने वाले इस बात सेअसहमत हैं। उनका तर्क है कि संसार किसी रचनाकार द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि परमेश्वर ने सरल जीवों से जटिल स्वरूप वाले जीवों के विकास से बना है। किंतु यह विचार भौतिक शास्त्र के एक मूलभूत सिद्धांत का खंडन करता है: ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम, जो कहता है कि एक वियुक्त निकाय में सब कुछ एंट्रोपी (क्षय) की ओर बढ़ता है।1 यह तकनीकी कथन मूल रूप से यह कहता है कि बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप या बल के प्राकृतिक संसार में कुछ भी समय के साथ-साथ बेहतर नहीं होता है - बल्कि वह अंततः बिखर जाता है।
इस बात को और अधिक समझने के लिए, पाठ ७ में दिए गए के पाले के घड़ीसाज़ के चित्रण पर एक बार फिर विचार करते हैं|
मान लीजिए आप किसी मैदान में चल रहे हैं और आप घड़ी के पुर्ज़ों के एक ढेर के पास पहुँचते हैं। जैव विकास के सुझाव के अनुसार एक दिन ऐसा होगा कि ज़मीन पर अव्यवस्थित पड़े हुए ये पुर्जें अपने आप ही एक साथ जुड़कर एक बढ़िया-सी घड़ी में बदल जाएँगे या फिर शायद वे एक कार बन जाएँ। परन्तु, घड़ीसाज़ का रूपक कहता है कि बिना किसी रचनाकार के हस्तक्षेप के ये पुर्ज़े अपने आप से एक घड़ी में व्यवस्थित होने के लिए एक साथ कभी नहीं जुड़ेंगे। ऊष्मागतिकी के दूसरे नियम के अनुसार घड़ी के उन पुर्ज़ों में अंततः जंक लग जाएगा और वे धूल में मिल जाएँगे!
सरल भाषा में कहें तो, यह विचार कि यह संसार एक प्राकृतिक जैव विकास प्रणाली का परिणाम है, हमें इस बात पर विश्वास करने के लिए कहता है कि समय के साथ-साथ सरल चीजें बहुत अधिक जटिल वस्तुओं में विकसित हो गईं। किंतु ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम हमें इसके बिल्कुल विपरीत तथ्य पेश करता है।
इससे बढ़कर बात यह है कि, बाइबल हमसे कहती है कि वास्तव में परमेश्वर ने अब इस संसार को थामा हुआ है। हम इसे कुलुस्सियों १:१७ : “में पाते हैं: "और वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं।" परमाणु विज्ञान ने यह निर्धारित किया है कि एक परमाणु के सबसे छोटे कण कल्पना से परे अत्याधिक तीव्र गति से घूमते हैं, किंतु अभी इस बात का स्पष्टीकरण खोजना बाकी है कि वह क्या है जो परमाणु को बिखरने से रोकता है। In कुलुस्सियों १:१७, में, बाइबल दावा करती है परमेश्वर ही वह एकमात्र जन है जो सब चीज़ों को थामे हुए है - यहाँ तक कि सूक्ष्म परमाणुओं को भी - एक साथ।
पूछें और मनन करें
- इस सप्ताह हमने परमेश्वर के जिन गुणों पर विचार किया था उन्हें ध्यान में रखते हुए क्या आपके लिए इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि परमेश्वर ने इस समस्त संसार की रचना उसी प्रकार से की है जिस प्रकार से बाइबल में वर्णन किया गया है। क्यों? क्यों नहीं?
- ऐसा कहा जाता है कि बाइबल में वर्णित सृष्टि की रचना के बारे में हमारा दृष्टिकोण बाइबल के बाकी हिस्सों के बारे में हमारे दृष्टिकोण को निर्धारित करता है। यह कैसे सच हो सकता है? यदि बाइबल में सृष्टि की रचना का वर्णन सच नहीं है, तो वह परमेश्वर के बारे में क्या बताएगा?
निर्णय लें और करें
कुछ लोगों के लिए बाइबल में सृष्टि की रचना के वर्णन को स्वीकार करना कठिन होता है। आख़िरकार, यह प्राकृतिक सिद्धांत की अवहेलना जो करता है, और साथ ही इसके लिए एक रचनात्मक रचयिता में भरोसा करने की आवश्यकता होती है जिसकी रचनाओं को तो देखा जा सकता है किंतु उसके चेहरे को नहीं। इस तरह के भरोसे के लिए विश्वास की आवश्यकता होती है, इसके लिए किसी अंधविश्वास की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे-जैसे हम अध्ययन मार्गदर्शिका को आगे पढ़ते जाएँगे और बाइबल पर विचार और जाँच करते जाएँगे, हम जानेंगे कि बाइबल का विश्वास तर्कहीन नहीं है और यह अंधा तो बिल्कुल भी नहीं है।
हमने इस अध्ययन में यह समझने के लिए कि बाइबल भरोसेमंद क्यों है बहुत समय लिया है। इस तथ्य को स्थापित से, बाइबल परमेश्वर के गुणों के बारे में जो बातें बताती है वे पुख़्ता होती हैं। और परमेश्वर के गुणों के बारे में हमने जो कुछ भी सीखा है, उसके माध्यम से, हम यह बात और भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि ऐसा परमेश्वर संसार और सब कुछ जो उसमें है, उनकी रचना ठीक वैसे ही किस प्रकार से कर सकता है जैसे बाइबल कहती है कि उसने की। परमेश्वर के चरित्र और प्रकृति की यह समझ विश्वास की आवश्यकता को ही ख़त्म नहीं करती है बल्कि अंधविश्वास की आवश्यकता को ख़त्म करती है।
बहुत से लोग बाइबल के दावों को अस्वीकार या खारिज कर देते हैं क्योंकि वे लोग बिना विश्वास की नींव डाले, उसे संदर्भ से बाहर समझने का प्रयास करते हैं। इस अध्ययन मार्गदर्शिका का उद्देश्य है बाइबल के दावों को समझने के लिए एक संदर्भ स्थापित करना और नियम पर नियम विश्वास की नींव डालना। इस अध्ययन के दौरान यदि आपके सामने ऐसी बाते आती हैं जिन्हें समझना या जिन पर विश्वास करना आपके लिए कठिन हो, तो उन्हें तुरंत खारिज न करें। इसके बजाय, परमेश्वर से अपने विश्वास की नींव को मज़बूत करने के लिए कहें, और परमेश्वर को जानने का प्रयास करें क्योंकि वह अपने वचन में प्रकट हुआ है।
Footnotes
1Wikipedia®, Second Law of Thermodynamics. (http://en.wikipedia.org/wiki/Second_law_of_thermodynamics). Retrieved November 15, 2006.